काकोरी कांड के महान क्रांतिकारी अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खान और रोशन सिंह का बलिदान क्रांतिवीरों का बलिदान दिवस है
आदर्श समाज समिति इंडिया के कार्यालय सूरजगढ़ में जगदेव सिंह खरड़िया के नेतृत्व में स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक घटना काकोरी कांड के महान क्रांतिकारी अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खान और रोशन सिंह का बलिदान दिवस मनाया।
इस मौके पर क्रांतिवीरों के छायाचित्रों पर पुष्प अर्पित करते हुए शिक्षाविद् मोतीलाल डिग्रवाल, राजपाल सिंह फौगाट, धर्मपाल गाँधी, जगदेव सिंह खरड़िया, पतंजलि योग समिति के राज्य प्रभारी पवन कुमार सैनी, योगाचार्या सुदेश खरड़िया आदि ने शहीदों के जीवन पर विचार व्यक्त किये।
इस मौके पर काकोरी कांड के चौथे शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी को भी याद किया। उन्हें दो दिन पहले 17 दिसंबर 1927 को गोंडा जेल में फांसी पर चढ़ा दिया था।
आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने क्रांतिकारी के जीवन पर प्रकाश डाला
आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने शहीदों के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा- भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास में 9 अगस्त 1925 की तारीख हमेशा याद रखी जायेगी। इसी दिन क्रांतिकारियों के एक दल ने लखनऊ से 16 किलोमीटर दूर काकोरी में ट्रेन लूट कांड को अंजाम दिया था।
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के 10 क्रांतिकारियों के एक दल ने ट्रेन पर धावा बोला और सरकारी खजाना लूटकर ले गये। इस घटना को काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है। क्रांतिकारियों ने काकोरी कांड के जरिए ब्रिटिश हुकूमत को खुली चुनौती दी थी।
क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में, अशफ़ाकउल्ला खान को फैजाबाद जेल और रोशन सिंह को इलाहाबाद की जेल में फांसी दी गई
इस घटना के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने बड़े स्तर पर क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी शुरू की और उन पर मुकदमा चलाया। क्रांतिवीरों रामप्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा सुनाई गई। इस कांड में शामिल दूसरे क्रांतिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल को कालेपानी की सजा हुई।
मन्मथनात गुप्त को 14 साल की सजा सुनाई गई। बाकियों को 10, 7 और 5 साल की सजा हुई। 19 दिसंबर 1927 को क्रांतिवीरों राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में, अशफ़ाकउल्ला खान को फैजाबाद जेल और रोशन सिंह को इलाहाबाद की जेल में फांसी दी गई। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और क्रांतिकारी अशफ़ाकउल्ला खान की दोस्ती बेमिसाल थी
दोनों क्रांतिवीरों शाहजहांपुर एक ही शहर में पैदा हुए, एक साथ ही देश की आजादी के लिए संघर्ष किया और एक दिन ही देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूमकर दुनिया से रुखसत हुए।
अशफाक उल्ला खां की गजलों और नज्मों ने स्वाधीनता संग्राम की तमाम पीढ़ियों को हौसला दिया। इस कवि-क्रांतिकारी ने देश को एहसास कराया कि हमारी सबसे बड़ी कमजोरी धर्म को लेकर आपस में लड़ना है।
राम प्रसाद बिस्मिल से उनकी गहरी दोस्ती हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बन गई थी। ऐसे महान क्रांतिवीरों को हम नमन करते हैं। इस मौके पर योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, मोतीलाल डिग्रवाल, राजपाल सिंह फौगाट, राधेश्याम चिरानिया, शिवदान सिंह भालोठिया, पवन कुमार सैनी, सज्जन कटारिया, राजेंद्र कुमार गांधी, जगदेव सिंह खरड़िया, सुदेश खरड़िया, धर्मपाल गांधी, सुनील, अंजू गांधी आदि अन्य लोग मौजूद रहे।
सूरजगढ़(चंद्रकांत बंका)
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