कार्यालय ज्ञापन
झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले में सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र और उसके आसपास वन्यजीव अभयारण्य और पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र (ईको सेन्सिटिव जोन ) की पवित्रता की रक्षा करना।
पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की ईको सेन्सिटिव जोन की अधिसूचना के संबंध में दिनांक
02 अगस्त, 2019 की उपर्युक्त अधिसूचना संख्या का.आ. 2795 (अ) का संदर्भ लें।
2. सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र जैन धर्म का विश्व का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थ स्थान है। यह मंत्रालय जैन समुदाय के साथ-साथ समूचे देश के लिए इसकी पवित्रता और महत्व को स्वीकार करता है; और इसे बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।
3. इस संबंध में राज्य सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना, जो पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है, के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाए, जिनके अनुसार पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री करना; तेज़ संगीत बजाना या लाउडस्पीकर का उपयोग करना; धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के अपवित्र स्थल जैसे पवित्र स्मारक, झीलें, चट्टानें, गुफाएँ और मंदिर हानिकारक वनस्पतियों या जीवों, पर्यावरण प्रदूषण के कारण जंगलों, जल निकायों, पौधों, जानवरों के लिए हानिकारक कार्य करना या ऐसे स्थलों की प्राकृतिक शांति को भंग करना, पालतू जानवरों के साथ आना और पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर अनधिकृत कैंपिंग और ट्रेकिंग आदि की अनुमति नहीं है। पर्यटन, कला, संस्कृति, खेल और युवा मामले विभाग, झारखंड सरकार के का. जा. सं. पर्या० यो०- 14 / 2010-1995 दिनांक 21.12.2022 के संदर्भ में, राज्य सरकार द्वारा पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब एवं मांसाहारी खाद्य वस्तुओं के विक्रय एवं उपभोग पर प्रतिबंध को भी कड़ाई से लागू किया जाय ।इसके अतिरिक्त 2 अगस्त, 2019 को जारी इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना एस.ओ. 2795 (ई) के संदर्भ में, पवित्र पार्श्वनाथ पर्वत क्षेत्र से परे एक बफर जोन की रक्षा के लिए जारी किया गया; उक्त इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।
5. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत इस अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी हेतु, केंद्रीय सरकार द्वारा उक्त अधिसूचना के खंड 5 के तहत एक निगरानी समिति गठित की गई है। राज्य सरकार को निदेश दिया जाता है कि वह इस समिति में जैन समुदाय से दो सदस्यों तथा स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य को स्थायी सदस्यों के रूप में आमंत्रित करे ताकि उक्त ईको सेन्सिटिव जोन अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावकारी निगरानी में स्थानीय समुदाय को भी शामिल किया जा सके जिससे महत्वपूर्ण हितधारकों द्वारा उचित भागीदारी और निरीक्षण किया जा सके।
इन निदेशों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के प्रावधानों के तहत सक्षम प्राधिकारी के विधिवत् अनुमोदन से जारी किया जाता है।
(रोहित तिवारी)
वन महानिरीक्षक (वन्य जीव)