Atal Tinkering Laboratory विद्यालय के बच्चों के लिए गेम-चेंजर साबित हुई है

Aanchalik Khabre
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Atal Tinkering Laboratory

पहली Atal Tinkering Laboratory

नीति आयोग के Atal इनोवेशन मिशन के साथ ओप्पो इंडिया की साझेदारी के माध्यम से, पहली Atal टिंकरिंग लैब – जो पीपीपी मॉडल पर आधारित है – स्थापित की गई थी। केरल में, ओप्पो इंडिया और नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) अवधारणा वाली पहली अटल टिंकरिंग लैब लॉन्च की

Atal Tinkering Lab के उद्देश्य

इस पहल का मुख्य लक्ष्य कार्यबल को सशक्त बनाना, भविष्य के लिए तैयार करना और युवाओं की तकनीकी और उद्यमशीलता क्षमताओं का विकास करना है। ATL की स्थापना कक्षा छह से बारह तक के छात्रों को मूल समाधान बनाने में सक्षम बनाने के लिए की गई थी

Atal Tinkering Lab के Benefits

हमारी सबसे बड़ी संपत्ति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं, जिनकी न केवल विज्ञान के लिए स्वाभाविक झुकाव है, बल्कि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पहलों व परियोजनाओं को समर्थन और बढ़ावा देने में भी आगे हैं केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर शुरू की गई “Atal टिंकरिंग प्रयोगशाला” विद्यालय जाने वाले बच्चों के लिए गेम-चेंजर साबित हुई है।

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राज्य मंत्री ने एनडीसीसी कन्वेंशन सेंटर में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के विद्यालयों का वार्षिक विज्ञान मेले का उद्घाटन किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “Atal टिंकरिंग प्रयोगशाला, Atal इनक्यूबेशन केंद्र और Atal सामुदायिक नवाचार केंद्र, स्टार्टअप्स और नवप्रवर्तकों को समर्थन देने के अलावा विद्यालय के बच्चों में एक अभिनव सोच विकसित कर रहे हैं।”मंत्री ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग व Atal टिंकरिंग प्रयोगशाला (ATL) के मेंटरशिप कार्यक्रमों का उल्लेख किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ये सभी “कैच देम यंग” के मंत्र से निर्देशित हैं।

उन्होंने कहा कि Atal नवाचार मिशन (एआईएम) सरकार के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” के दृष्टिकोण का पूरक है। इसने हाल ही में अपना 7 साल पूरा किया है।

मंत्री ने कहा कि युवा मस्तिष्क, विज्ञान और प्रौद्योगिकी व नवाचार के साथ भारत के भविष्य के विकास को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में देश की वैज्ञानिक क्षमता की बड़ी भूमिका रहने वाली है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी संपत्ति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं, जिनकी न केवल विज्ञान के लिए स्वाभाविक झुकाव है, बल्कि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पहलों व परियोजनाओं को समर्थन और बढ़ावा देने में भी आगे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी व नवाचार एक साथ चलते हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छा वैज्ञानिक स्वभाव और अनुसंधान व विकास संरचना वाला देश नवाचार और उद्यमिता में उत्कृष्टता प्राप्त करेगा। मंत्री ने साल 2019 में आयोजित 106वीं विज्ञान कांग्रेस में दिए गए प्रधानमंत्री मोदी के प्रसिद्ध नारे को याद किया, जिसमें उन्होंने “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” में “जय अनुसंधान” जोड़कर शोध के महत्व पर जोर दिया था।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने नवाचार क्षेत्र में एक लंबी यात्रा की है और आज भारत में 1,25,000 से अधिक स्टार्टअप व 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं।

यह सरकार की Atal नवाचार मिशन (एआईएम) और इंस्पायर-मानक पुरस्कारों जैसी विभिन्न पहलों से संभव हुआ

‘भारत में 10 लाख बच्चों को नव प्रवर्तनकर्ताओं के रूप में विकसित करने’ की सोच से एआईएम पूरे भारत के विद्यालयों में एटीएल स्थापित कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य युवा मस्तिष्क में जिज्ञासा, रचनात्मकता व कल्पना को बढ़ावा देना है और डिजाइन मानसिकता, कम्प्यूटर के उपयोग से संबंधित सोच, अनुकूलक शिक्षण, भौतिक कंप्यूटिंग आदि जैसे कौशल विकसित करना है।

ddddd 1 पूरे देश में 10,000 एटीएल हैं, जिनमें 75 लाख छात्र सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। एआईएम के तहत 59 अटल इन्क्यूबेशन केंद्रों ने 32,000 से अधिक नौकरियां सृजित की हैं और 2,900 से अधिक स्टार्टअप को समर्थन दिया है।

उन्होंने कहा, “यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि इंस्पायर पुरस्कारों के लिए पूरे देश से 7 लाख प्रविष्टियां आई थीं और उन नवप्रवर्तनकर्ताओं में से आधे से अधिक लड़कियां थीं। इसके अलावा इनमें 83 फीसदी प्रविष्टियां ग्रामीण क्षेत्रों से थीं और यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी व नवाचार को ग्रामीण इलाकों और आकांक्षी जिलों व ब्लॉकों तक ले जाने को लेकर प्रधानमंत्री की सोच की पुष्टि करता है।”

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि कैसे जिज्ञासा कार्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत की सोच और वैज्ञानिक समुदाय व संस्थानों की वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी (एसएसआर) से प्रेरित है।

‘जिज्ञासा’ केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के सहयोग से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओर से कार्यान्वित एक छात्र-वैज्ञानिक जुड़ाव कार्यक्रम है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये युवा नवप्रवर्तक साल 2047 तक भारत को एक वैश्विक तकनीकी केंद्र बनाने में योगदान देने के लिए अमृत काल में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जब भारत अपनी आजादी का 100वीं वर्षगांठ मनाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “आजादी के बाद भारत की यह तीसरी पीढ़ी सबसे भाग्यशाली है क्योंकि वे अब ‘अपनी आकांक्षाओं के कैदी’ नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “यह भारत के सबसे अच्छे समय में से एक है, जब प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में नवाचार देखा जा रहा है।”

मंत्री ने यह आशा व्यक्त की कि आने वाले वर्षों में नवाचार 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने को लेकर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रदर्शनी में लगे स्टॉलों का भी दौरा किया और छात्रों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न प्रकार के विज्ञान मॉडलों को देखा। इस दौरान एनडीएमसी के अध्यक्ष श्री अमित यादव भी उपस्थित थे।

कोरोना महामारी के कारण तीन साल के अंतराल के बाद एनडीएमसी वार्षिक विज्ञान मेला आयोजित किया जा रहा है। इस मेले की विषयवस्तु “प्रौद्योगिकी और खिलौने” है। एनडीएमसी विद्यालयों के अलावा नई दिल्ली नगरपालिका परिषद क्षेत्र के कुछ निजी विद्यालय, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, विज्ञान पत्रिका-विज्ञान रिपोर्टर और अविष्कार दो दिवसीय विज्ञान मेले में भाग ले रहे हैं। इसके अलावा विज्ञान खेल, क्विज, वाद-विवाद, स्वास्थ्य मेला, विज्ञान खिलौने आदि भी इस मेले के प्रमुख आकर्षण हैं।

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इस विज्ञान मेले में 60 से अधिक प्रदर्शनियां प्रदर्शित की गई हैं, जो भविष्य के वैज्ञानिकों के वैज्ञानिक स्वभाव, योग्यता और अभिनव मस्तिष्क को दिखाती हैं। विज्ञान/गणित से संबंधित आविष्कारशील प्रदर्शन, पालिका टिंकरिंग प्रयोगशाला Atal टिंकरिंग प्रयोगशाला की ओर से प्रदर्शन, छात्रों के लिए “विज्ञान के साथ मनोरंजन” व “चमत्कारों के पीछे का विज्ञान” आदि विषयवस्तुओं पर संवादात्मक कार्यशालाएं और राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र के साथ विज्ञान के चमत्कारों की खोज जैसे विषय इस मेले में शामिल थे।

इस प्रदर्शनी का व्यापक लक्ष्य बच्चों को “आत्मनिर्भर भारत” के बारे में शिक्षित करना और आजादी का अमृत महोत्सव के बारे में जानकारी देना है। यह विज्ञान मेला डिजिटल इंडिया मिशन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 में उल्लिखित उद्देश्यों को भी रेखांकित करता है।

 

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