मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को, भक्ति-भ -भाव में डूबे दिखाई दिए
मनीष गर्ग खबर विदिशा
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को, भक्ति-भ -भाव में डूबे दिखाई दिए। विदिशा में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ श्रीमदभागवत कथा एवं, संत समागम में पहुंचे। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ मंच साझा किया। संबोधन में भगवान पाने का मार्ग बताया। फिर भजन भी गुनगुनाए । उनके भजन सुनकर धीरेंद्र शास्त्री भी मंद-मंद मुस्कराते नजर आए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, हम पर भी कृपा है तभी तो संतों का साथ मिला है। विदिशा मेरी कर्मभूमि रही है और आज भी है। यहां भक्तिरस की गंगा बह रही है। चारों ओर आनंद बरस रहा है। मेरे दिमाग में आया कि शिवराज, जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है रे परमात्मा की प्राप्ति भगवान की प्राप्ति। भगवान कैसे मिलेगा पहला मार्ग है- ज्ञान का मार्ग ज्ञान मार्गी भगवान को पा लेते हैं। जनता तो ज्ञानी हो नहीं हो सकती। उसके लिए है भक्ति मार्ग। कोई भगवान सखा मानता है तो मीरा बाई ने तो भगवान को ही पति मान लिया। रामायण का प्रसंग है। भगवान राम का दरबार लगा था। सीता मैया ने कहा कि मुझे तो सभी प्रिय है, लेकिन हनुमान जी का कोई जवाब नहीं है। सीताजी ने गले से मोतियों की माला निकाली और हनुमान जी को दे दी। कहा कि यह सबसे कीमती माला है। बजरंग बली ने माला उठाई और उसे तोड़कर एक-एक मोती अलग कर दिया। दरबार आश्चर्यचकित था। सीताजी ने प्रेम से मोतियों की माला दी और हनुमान जी ने फेंक दी। उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि मैया क्यों मजाक करती हो यह कीमती माला है तो इसमें मेरे प्रभु क्यों नहीं है लोगों ने सवाल पूछा कि क्या तुम्हारे शरीर में भी प्रभु हैं। तब हनुमान जी ने अपना सीना चीरकर दिखाया और वहां भगवान राम और सीता की छवि दिखाई दी। भक्ति मार्ग पर चलते हैं तो भगवान प्राप्त होते हैं। अगर भक्ति मार्ग भी नहीं होता है तो कर्म मार्गी बन जाओ।