मंत्री दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच हुआ तलाक, 22 साल बाद अलग हुए रास्ते

Aanchalik Khabre
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रिपोर्टर मोहम्मद साजिल
लखनऊ मलिहाबाद

दोनों की शादी 22 साल तक चली। पिछले कई महीनों से दोनों के बीच मनमुटाव की खबरें थीं।

लखनऊ की फैमिली कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए विवाह को समाप्त करने का फैसला सुनाया। बताते चलें कि स्वाति सिंह ने 30 दिसंबर 2022 को फैमिली कोर्ट में वाद दाखिल कर तलाक की अर्जी दी थी। दोनों की शादी 18 मई 2001 को हुई थी।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और उनकी पत्नी स्वाति सिंह 22 साल बाद अलग हो गए हैं. फैमिली कोर्ट ने दोनों के तलाक को मंजूरी दे दी है.पूर्व मंत्री स्वाति सिंह की तरफ से बीते साल 30 सितंबर को फैमिली कोर्ट में वाद दाखिल किया गया था, स्वाति सिंह ने कहा कि वो चार साल से पति से अलग रह रही हैं. दोनों के बीच कोई वैवाहिक रिश्ता नहीं हैं. जिसके बाद कोर्ट ने दोनों के तलाक पर मुहर लगा दी. इस तरह दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह की एक प्रेम कहानी से हुई शुरुआत का 22 साल के बाद अंत हो गया.

इस तलाक को दयाशंकर सिंह ने एकतरफा बताया है और कहा है कि, ‘मैंने कभी तलाक की अर्जी नहीं दी, न मैं इस मामले में अदालत गया। लेकिन चूंकि अब यह हो गया है तो अब मैं इस मसले पर अपनी तरफ से आगे नहीं बढूंगा, स्वाति सिंह की बढ़ी हुई राजनीतिक महत्वाकांक्षा इसके पीछे की वजह है।’

BJP के दोनों नेताओं की संपत्ति।

स्वाति और दयाशंकर सिंह ने साल 2000 में प्रेम विवाह किया था। दोनों ही बीजेपी से जुड़े हैं। स्वाति सिंह योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में मंत्री थीं तो वहीं दयाशंकर इस सरकार में मंत्री हैं।
स्वाति सिंह ने साल 2017 में चुनाव आयोग को जो हलफानामा दिया था उसमें बताया था कि उनके पास कुल 2.88 करोड़ रुपये की चल अचल संपत्ति है।
स्वाति सिंह के हलफनामे के मुताबिक उनके पास कोई चार पहिया गाड़ी नहीं है। उनके नाम पर एक स्कूटी है।

बात दयाशंकर सिंह की करें तो 2022 में यूपी चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी कुल संपत्ति करीब 3.77 करोड़ रुपये घोषित की थी।

दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच विवाद

साल 2017 ऐसी परिस्थितियां बनी कि स्वाति सिंह को राजनीति में कदम रखना पड़ा। मायावती पर एक विवादित बयान के बाद दयाशंकर सिंह विवादों के घेरे में आ गए। जिसके बाद दयाशंकर के परिवार पर भी टीका टिप्पणियों का दौर शुरू हो गया, तब स्वाति सिंह ने मोर्चा संभाला था। इसके बाद उन्हें सीधे बीजेपी महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया, फिर विधायक बनीं और मंत्री पद पर भी काबिज रहीं।

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