जाँच व इलाज की सरकारी अस्पतालों में मुफ्त व्यवस्था
जनसमुदाय को जागरूक करने का काम कर रहे टीबी चैम्पियन
चित्रकूट: चिकित्सक की सलाह के मुताबिक नियमित इलाज कराया और लगातार दवा का सेवन किया। ऐसा करने से छह माह में ही क्षय रोग से पूरी तरह मुक्त हो गया। अब टीबी से बचाव और उसके निवारण के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। यह कहना है टीबी चैम्पियन का।
कर्वी ब्लाक के बरवारा निवासी टीबी चैंपियन कमलेश कुमार (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वजन कम हो रहा था, सीने में दर्द की भी शिकायत रहती थी। यह कहीं टीबी के लक्षण न हों यह सोचकर जिला अस्पताल में बलगम की जांच कराई। रिपोर्ट आने पर डाक्टर ने टीबी की पुष्टि की। यह जुलाई 2019 की बात है। इसके बाद डॉट सेंटर (सीएमओ ऑफिस के बगल) से निःशुल्क दवा मिली। डाक्टर की सलाह के मुताबिक ही दवा खाते रहे। बीच में कोई अंतराल नहीं किया। इसका परिणाम रहा कि छह माह बाद जनवरी 2020 में जांच कराई तो डॉक्टर ने बताया कि वह टीबी से मुक्त हो चुके हैं। कमलेश ने टीबी मरीजों को सन्देश दिया कि एक बार इलाज शुरू होने पर किसी भी हालत में बीच में दवा खाना न छोड़ें। नियमित दवा के सेवन से छह महीने में टीबी से मुक्ति मिल जाएगी। नियमित व सही इलाज का ही नतीजा रहा कि ठीक छह महीने में टीबी को मात दे दी।
इसी प्रकार जवाहर नगर मानिकपुर निवासी टीबी चैंपियन विमला (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें बुखार बना रहता था। दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आ रही थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मानिकपुर में इलाज कराया, लेकिन पूरी तरह से राहत नहीं मिली। चिकित्सकों ने सलाह दी कि जांच करा लें हो सकता है टीबी हो। मार्च 2021 में जांच कराई, लेकिन पहली बार जांच में टीबी की पुष्टि नहीं हुई। फिर एक माह बाद 24 अप्रैल 2021 को एक्स-रे भी करवाया और बलगम की जांच कराई तो टीबी का इन्फेक्शन निकला। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ सुदामा ने उन्हें टीबी की दवा देकर नियमित खाने की सलाह दी। विमला का कहना है कि दो माह तक डॉक्टर के मुताबिक हल्का नाश्ता करके दवा खाई। 26 जून 2021 को दूसरी जांच कराई और डॉक्टर ने बिना ब्रेक किए चार माह तक और दवा खाने की सलाह दी। 12 अक्टूबर 2021 को जांच हुई और जांच रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने बताया कि अब वह टीबी से मुक्त हैं। फिलहाल जहां भी जनसमूह होता है, वह टीबी से मुक्ति पाने की अपनी कहानी सुनाती हैं। अपनी कहानी से संदेश देती हैं कि एक बार इलाज चलने के बाद बीच में बंद न करें और नियमित तौर पर छह माह तक दवा खाएं। चिकित्सक की सलाह के बाद ही दवा छोड़ें।
—–सरकारी इलाज लेने में ही समझदारी—–
जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ बी के अग्रवाल ने बताया की जनपद में जिला अस्पताल, क्षय रोग केंद्र सहित 11 स्थानों पर निःशुल्क टीबी जांच की सुविधा है। इसके साथ ही इन सभी 11 स्थानों पर टीबी मरीजों को निःशुल्क दवा वितरण की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि बिना सोचे समझे व बिना सही जांच के बाहर के महंगे इलाज के चक्कर में न पड़ें। महंगे इलाज से टीबी मरीज/परिवारीजनों की आर्थिक स्थिति तो खराब होती ही है। साथ में रोग भी गंभीर हो जाता है। ऐसे हालात में विकल्पहीनता में सरकारी इलाज लेना मजबूरी बन जाती है। जनपद के तमाम मरीज तब सरकारी इलाज लेना शुरू किया जब उनकी स्थिति ज्यादा बिगड़ गयी। इसलिए शुरूआत से सरकारी इलाज लेने में ही समझदारी है।