मैहर सीमेंट के सेल्स एंड परवेज के हेड रह चुके पीएम इंटोडिया को हवा तक नहीं लगी और उनका 2400 वर्ग फीट प्लाट चोरी-चोरी, चुपके- चुपके बिक गया। दिलचस्प यह भी है कि भू स्वामी को फर्जीवाड़े की भनक बाद अब जाकर लगी। आरोप है 14 वर्ष धोखाधड़ी के इसे ऐसे समझें 9 एकड़ पर हुई थी जानकार सूत्र के अनुसार प्लाटिंग शिकार पीएम में शारदा सहकारी समिति के तबके अध्यक्ष मनोज रजक ने अहम भूमिका निभाई थी। जानकारों सूत्रों के मुताबिक यह मामला अकेले एक प्लाट की सौदेबाजी का नहीं है। इस फर्जीवाड़े के तार 25 किता 2.385 हेक्टेयर (लगभग साढ़े 5 एकड़) भूमियों की सौदेबाजी से जुड़े हुए हैं।
मेहर के शारदा सहकारी
गृह निर्माण समिति
भूमिहीनों को नो प्रॉफिट नो लॉस पर आवासीय प्लाट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जून 1998 में मैहर में शारदा सहकारी गृह निर्माण समिति मर्यादित (पंजीयन नंबर एआर/ एटीए/658) सरला नगर का गठन किया गया था। समिति को कालोनी निर्माण के लिए अप्रैल 1991 में नगर ग्राम निवेश ने मंजूरी दी। कलेक्टर से समिति को अक्टूबर 1991 कालोनी निर्माण की स्वीकृति मिली। जून 1991 में एसडीएम
से डायवर्सन को स्वीकृति मिली। मार्च 1992 में इसे कालोनाइजर का लाइसेंस (क्रमांक- 8 सतना 91) मिला। इस प्रकार इस समिति ने उमरी गांव में साढ़े 9 एकड़ पर प्लाटिंग की। वर्तमान समय मे यह स्थल न्यायालय भवन के सामने है। समिति से 20 जनवरी 1995 को पीएम इंटोडिया ने भी प्लाट नंबर-36 (आराजी नंबर-5/3/1ख) की रजिस्ट्री कराई। इसी बीच ट्रांसफर पर इंटोडिया राजस्थान चले गए।