राजेंद्र राठौर
हे प्रभु इन्हे क्षमाकर क्योकि ये नही जानते कि ये क्या कर रहे है
येसु ने अपना क्रुस उठाकर मुझे बचा लिया.
पवित्र शुक्रवार
येसु ने अपना क्रुस उठाकर मुझे बचा लिया.
हे प्रभु इन्हे क्षमाकर क्योकि ये नही जानते कि ये क्या कर रहे है…!
झाबुआ ,
विश्वभर में मना येसु की मृत्यु का पर्व गुड फ्राईडे
न्यू कैथोलिक मिषन स्कूल प्रांगण में कु्रस मार्ग संपन्न किया गया। अधिकतर लोग सफेद रंग के कपडों में सादगी के साथ क्रुस मार्ग में भाग ले रहे थे। सफेद कपडे श्रद्धांजलि का प्रतिक होते है इसलिए समाजजन इस वर्ष के येसु के अंतिम क्रुस मार्ग में विष्व शांति के लिए प्रार्थना कर रहा था। कुृस मार्ग के बाद मौन रूप से महागिरजाघर झाबुआ में प्रवेष किया। सर्व प्रथम दिव्य करूणा विनती माला की गई और इसके बाद पवित्र शुक्रवार की धर्मविधियां शुरू की गई।
आज की धर्मविधि में मुख्य घटना है- पवित्र क्रूस पर येसु मसीह के दुःखभोग व मरण को याद करना। यह घटना उनके जी उठने के साथ ख्रीस्तियों की मुक्ति का कार्य कहलाती हैं।
हमारा आत्मात्याग, आज की धर्मविधि में विशेष महत्व रखता है। आज की धर्मविधि के तीन भाग हैं , जिनमें मसीह की मृत्यु पुराने व्यवस्थान में चिन्हों द्वारा तथा भविश्यवाणि द्वारा, नये व्यवस्थान में, संत योहन के सुसमाचार से; दुखभोग की कथा में, सत्य रूप में और परमप्रसाद की रीति में रहस्यात्मक ढंग से प्रस्तुत की जाती हैं।
आज की धर्मविधि मुख्य अनुष्ठानदाता फादर जॉनसन के साथ फादर प्रताप, फादर इम्बानाथन, फादर लुकस व अन्य रहें। आज की धर्म विधी को तीन भागों में बांटा जाता है।
पहला – पाठ और निवेदन , दूसरा – पवित्र क्रूस की उपासना और तीसरा – परमप्रसाद वितरण
पहला भाग– पाठ और निवेदन
आज के दिन जब धर्म-विधि के लिए चर्च में प्रवेश करते हैं तो हम चर्च को खाली, सजावटहीन और पवित्र सन्दूक खुली व खाली पाते हैं- ये सब हमारे आंतरिक परंतु सच्चे दुःख के प्रतीक हैं।
मोमबत्तियाँ नहीं होती हैं, वेदी पर कोई कपड़ा नहीं होता है, कोई प्रवेश भजन नहीं गाया जाता हैं। पुरोहितों ने लाल कपडे में पहन कर प्रवेश किया। यह सब मुक्तिकार्य के पूर्व मनुष्य की उजाड़ एवं उदास दषा को प्रकट करता है। तत्पष्चात् धर्ममंडली धर्मग्रंथ से पाठ सुनाकर शिक्षा दी गई । पाठों के बाद उपदेश, भजन व विश्वासियों के निवेदन होते हैं । ये निवेदन परम्परा से यानी दूसरे शताब्दी से ही पालन किये जा रहे हैं। उपदेश के बाद …. विश्वासियों के लिए महाप्रर्थाना की गई।
आज के विश्वासियों के निवेदन में हम, समस्त कलिसिया के लिए, याजक वर्ग, दीक्षार्थीयों, ख्रीस्तियों, शासकों, विश्वासियों एवं विभिन्न आवश्यकताओं को प्रभु के समक्ष रखा तथा उसके लिए प्रार्थना की गई।
विश्वासियों के निवेदन के बाद
दूसरा भाग-पवित्र क्रूस की उपासना
इस समारोह के दूसरे भाग में प्रवेश किया, जहाँ क्रूस की उपासना की गई।
पवित्र शुक्रवार की रीतियों की चरम सीमा क्रूस की उपासना है। पुरोहित अपना अंगरखा निकालकर, क्रूस पर का आवरण हटाते है। इस महान दृष्य में धर्ममंड़ली क्रूस का अनावरण करके सब विशवासियों का ध्यान, येसु के क्रूसीकरण के दिल दहलाने वाले क्षण की ओर, आकर्शित करती है।
पुरोहीत ने कहा- क्रूस की काठ को देखीये जिस पर संसार के मुक्तिदाता टंगे हैं।
लोग ने उत्तर दिया:- आइऐ हम इसकी आराधना करें।
फिर क्रूस की उपासना की गई। पहले पुरोहितों ने क्रूस को चूमा फिर सभी विश्वासीगण ने क्रुस का चुम्बन किया।
तीसरा भाग में परमप्रसाद वितरण किया गया। प्रभु के दुखभोग मरण के कारण, हम भी उनका अनुसरण करते हैं तथा उसी कारण, आज मिस्सा नहीं चढ़ाया जाता हैं, किन्तु पवित्र संस्कार से सम्पन्न परमप्रसाद को, वितरित किया जाता हैं।
अब पूर्व से ही पवित्रीकृत परम प्रसाद का प्रवेश तथा उसका वितरण किया गया। सभी विश्वासी, इस पावन परम प्रसाद को प्रभु के उस दुःखमय घटना को याद करते हुए, जो हमारे मुक्ति के लिए, जीवन प्राप्ति के लिए, अर्पित किया था, भक्ति के साथ ग्रहण किया। संगीत दल के द्वारा भक्तिमय गीतों की प्रस्तुति दी गई।