टपरी डिस्टलरी से शराब तस्करी में करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी में जब बरेली के शराब माफिया फंसे तो पूरा सिंडिकेट बेनकाब हो गया। जांच में आबकारी, शराब माफिया और पुलिस का गठजोड़ भी सामने आया। इसके बाद एसआईटी ने कड़ी से कड़ी जोड़कर मामले की विवेचना शुरू कर दी है।
मामले में एक पुलिस असफर की पत्नी के शराब की दुकान के लाइसेंस का सुराग नहीं लगा पाई है। जांच के आधार पर मामले कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
2 फरवरी को सुभाषनगर के नेकपुर निवासी दिलीप कुमार ने आइजी रेंज रमित शर्मा के सामने बरेली के शराब सिंडिकेट का पूरा चिट्ठा खोला था। उसका कहना था कि बरेली में शराब माफिया मनोज जायसवाल व एकेजे की तिकड़ी का सिक्का चलता है। जिसमे जोन का एक पुलिस अफसर भी पाटर्नर बताया जाता है।
एडीजी राजकुमार ने घेरे में आए पुलिस अफसर की जांच के लिए एसपी को निर्देश दिये थे। साथ ही डीजी कार्यालय से भी अफसर के संबंध में जानकारी दी गई थी। लेकिन सात दिन बाद भी पुलिस अफसर के संबंध में अब तक कोई जांच सामने नहीं आई है। ऐसे में खाकी व आबकारी की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे है। वहीं एसआईटी लखनऊ मामले की कड़ी से कड़ी जोड़ रही है। जल्द ही इस मामले में और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।