राजेंद्र राठौर
झाबुआ, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जन्मोत्सव मनाने को लेकर पिछले कई दिनों से समाजनों द्वारा तैयारियां जोर-शोर से की जा रही है। जन्मोत्सव के तहत 21 मई को महिलाओं के लिए कार्यक्रम आयोजित होंगे। 22 मई को शाम 5 बजे से शौर्य यात्रा राजवाडा चौक से निकाली जाएगी। उसके बाद सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। रविवार 14 मई को महाराणा प्रताप जन्मोत्सव आमंत्रण पत्रिका का समाज जनों द्वारा विमोचन किया गया।
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ईस्वी में राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था।
महाराज पिता उदय सिंह की संतान और माता जयवंता बाई की कोख से जन्मे मेवाड़ मुकुट मणि महाराणा प्रताप उन चुनिंदा शासकों में से एक हैं जिनकी वीरता शौर्य पराक्रम के किस्से और गौरवमई संघर्ष गाथा को सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
अमर राष्ट्र नायक दृढ़ प्रतिज्ञ और स्वाधीनता के लिए जीवन भर मुगलों से मुकाबला करने वाले साहसिक रणबांकुरे महाराणा प्रताप को जंगल जंगल भटक-भटक कर घास की रोटी खाना मंजूर था लेकिन किसी भी परिस्थिति और प्रलोभन में अकबर की अधीनता को स्वीकार करना कतई मंजूर नहीं था।
महाराणा प्रताप कटुनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, मानसिक व शारीरिक क्षमता में अद्वितीय थे। महाराणा प्रताप की लंबाई 7 फीट और वजन 110 किलोग्राम था। वह 72 किलो के छाती कवच 81 किलो के भाले 208 किलो की दो वजनदार तलवारों को लेकर चलते थे। उनके पास उस समय का सर्वश्रेष्ठ घोड़ा चेतक था, जिसने अंतिम समय में जब महाराणा प्रताप के पीछे मुगल सेना पड़ी थी तब अपने पीट पर बिठाकर महाराणा प्रताप को 26 फीट ऊंची छलांग लगाकर नाला पार करया था और वीरगति को प्राप्त हुआ। जबकि गूगल घुडसवार 26 फीट का नाला पानी नहीं कर सके। ऐसा कहा जाता है कि जब महाराणा प्रताप किसी भी प्रकार का प्रण कर लेते थे तो वह अपने प्रण से पीछे नहीं हटते और अपने प्रण को अपनी जान देकर भी निभाते थे।
लेकिन महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धा की इतिहास की पुस्तकों में वीरता के अध्याय पढ़ाने की बजाय अकबर की महानता के किस्से पढ़ाना इस सच्चे राष्ट्र नायक के बलिदान के साथ नाइंसाफी है धरती के इस वीर पुत्र के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उनकी महानता वह माटी के प्रति कृतज्ञता की कहानी हर एक जन तक पहुंचाई जाएगी।
महाराणा प्रताप की वीरता के संबंध में आदर्श मत प्रस्तुत किया गया है और यह मत बहुत अद्वितीय है अर्थात ऐसा वर्णन अन्य किसी भी राजा के लिए नहीं किया गया था। महाराणा प्रताप जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया है ऐसा करना अन्य किसी भी राजा के लिए असंभव साबित होता है। ऐसी परिस्थितियों में भी उन्होंने संघर्ष किया और कभी हार नहीं मानी। यदि हम बात करें कि हिंदू राजपूतों को दुनिया के इतिहास में सम्मान पूर्वक स्थान केवल महाराणा प्रताप के कारण ही मिला है। आज रातपूत समाज का जो सम्मान समाज और दुनिया की नजर में है उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ महाराणा प्रताप को जाता है।

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जन्मोत्सव को राजपूत समाज बड़े ही धूमधाम से 21 और 22 मई को मनाएगा।
राजपूत समाज के अध्यक्ष भेरूसिंह सोलंकी ने बताया कि महाराणा प्रताप जन्मोत्सव पर 2 दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 21 मई को राजपूत भवन बसंत कालोनी में महिलाओं के लिए कार्यक्रम आयेाजित किया जाएगा। दोपहर 1 बजे महिला चेयर रेस होगी। दोपहर 2:30 बजे महिला तलवार बाजी आयेाजित होगी। उसके बाद शाम 4 बजे राजपूतानी परिधान सोलह श्रृंगार कार्यक्रम होगा।
शौर्य यात्रा निकलेगी
सोलंकी ने बताया कि 22 मई को शाम 5 बजे से राजवाडा चौक से शौर्य यात्रा निकाली जाएगी। जो शहर के विभिन्न मार्गेों से होती हुई पुन: राजवाडा पहुंचेगी। यहां एक निजी गार्डन में प्रतिभावान विद्यार्थीयों , कल्याणी महिलाओं के साथ वरिष्ठजनों का सम्मान किया जाएगा। कार्यक्रम के अतिथि नगर पालिका उपाध्यक्ष लाखनसिंह सोलंकी, प्रेमअदिबसिंह पंवार, अनिता बैस रहेंगे। कार्यक्रम के वक्ता रविंद्रसिंह सिसोदिया महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालेंगे। समाज के सरंक्षक विजयसिंह राठौर, यशवंतसिंह पंवार, मनोजसिंह राठौर व शंभू सिंह चौहान ने समाजजनों से कार्यक्रम में शामिल होने की अपिल की है।