Netherlands में चुनावी नेताओं और लोक के बीच अहिंसक चुनाव संपन्न

Aanchalik Khabre
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Netherlands में अहिंसक चुनाव
Netherlands में अहिंसक चुनाव

हिंसक विश्व के सामने Netherlands में अहिंसक चुनाव की ऐतिहासिक प्रस्तुति २२ नवंबर २०२३ को संपन्न हुई

हिंसक विश्व के सामने अहिंसक चुनाव की ऐतिहासिक प्रस्तुति २२ नवंबर २०२३ को संपन्न हुई। दो विश्वयुद्ध के बाद विश्व में सत्ता परिवर्तन और अधिग्रहण के लिए दुनिया में राजनीति ने लोकतंत्र का रुख अपनाया।

किसी भी देश में बिना रक्तपात के सत्ता स्थापित करने के लिए लोकतंत्र ने लोक के मन और मानस में अपनी कदम चालें चली। सत्ताधारीयों ने अपने पांसे फेंके और धीरे धीरे दुनिया में लोकतंत्र का चरित्र बदलने लगा। चुनाव की महतावकांक्षाए हिंसक रूप अख्तियार करने लगी। लोगों के न चाहते हुए भी बेईमानी और भ्रष्टाचार ने अपनी घुसपैठ बनाई।

Netherlands में अहिंसक चुनाव
Netherlands में अहिंसक चुनाव

इंटर नेशनल पीस जस्टिस कोर्ट के शहर देन हाग, Netherlands की राजधानी में २३ नवंबर की रात को बिना हिंसा के स्कूल के प्रोग्रेस रिपोर्ट की तरह चुनावी परिणाम उसी तरह आ गए। जिस तरह रात नौ बजे बजे तक २२ नवंबर को पूरे देश में लगभग 78.02 प्रतिशत वोट पड़े थे।

इस समय जबकि यूरोप के अन्य देशों की तरह Netherlands देश भी मुस्लिम और युद्ध से जूझ रहे देशों की शरण स्थली बना हुआ है। विश्व की हर दिशा से लोग इस सुरक्षित देश में बसना चाहते हैं कम लागत में शिक्षा हासिल होने की व्यवस्था होने के कारण विश्व के युवाओं के भी आकर्षण का भी नीदरलैंड्स देश अभिभावकों का चहेता केंद्र बना हुआ है। इस तरह चारो ओर से आबादी के दबाव को हर स्तर पर झेलने के बावजूद शांति पूर्वक चुनाव सम्पन्न हो गए।

तकरीबन चालीस दिन पहले वोट देने के लिए सरकारी पत्र घर आ गया। जिसमें तीन सौ से सात सौ मीटर की दूरी पर पोलिंग बूथ होने की उसी में सूचना थी। और उम्मीदवारों तथा पार्टी के सभी डिटेल का प्रपत्र भी था।

प्रो.पुष्पिता अवस्थी के अनुसार Netherlands  में न तो नेता के रोड शो हुए, न किसी पार्टी के नेता द्वारा जन सभा आयोजित हुए

Netherlands में अहिंसक चुनाव
Netherlands में अहिंसक चुनाव

इस दौरान चुनाव के समय में किसी पार्टी के उम्मीदवार ने घर में दस्तक नही दी। न किसी पार्टी और नेता के रोड शो हुए, न किसी पार्टी के नेता द्वारा जन सभा आयोजित हुए, न कारे, जीपें, ट्रक की लाइनें लगी, न पोस्टर लगे, न होर्डिंग लगी।

सड़के, चौराहे अपने लिबास में अपनी पहचान के साथ रहे। न सड़को को चुनाव की खबर हुई, न स्कूलों को, न रोज की दिनचर्या को इसकी हवा लगी। कोई प्रचार का शोर नहीं गूंजा। अखबारों के कागज अपमान, हिंसा और अशिष्टता से दूर रहे। वे उम्मीदवार और पार्टी के प्रचार के माध्यम नही बने।

सोशल मीडिया, टी वी से उम्मीदवारों ने कार्यक्रम आयोजको से बात चीत की। बस इतना ही इसी तरह का चुनाव प्रचार हुआ। देश में 26 पार्टियों के लगभग 1000 उम्मीदवारों ने पार्टी ओर अपनी अस्मिता के आधार पर लोकतंत्र के लिए चुनाव लड़ें। आधा मिलियन नए मतदाता थे।

गत 20 वर्षो से PVV नाम की पार्टी से मूल्यों के लिए राजनीति में संघर्ष रत श्री विल्दर्श को 35सीट मिली है। दूसरी पार्टी के रूप में Pvda और Groen Links सम्मिलित रूप से 25सीट हैं जो दूसरे नंबर पर रही। जिसके नेता यूरोपियन यूनियन के उपाध्यक्ष श्री फ्रांस टिम्मर मान है।

अब किसके साथ क्या समीकरण बनता है कि लगभग 77 सीटो की प्रतिनिधि सरकार बन सके। सबकी निगाह इस अगले परिणाम की है जब इस देश की जनता को सरकार मिलेगी। क्योंकि पिछले चुनाव के 9माह बाद देश को अपने मतदान के बाद सरकार मिल सकी थी। और उस दौरान भी कोई हिंसा नहीं हुई थी न पत्रकारों ने कोई कोलाहल मचाया था और न ही उम्मीदवारों ने ही कोई आफत खड़ी की थी। पुन प्रतिक्षा के साथ।

प्रो.पुष्पिता अवस्थी

अध्यक्ष:हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन,

अध्यक्ष:आचार्यकुल

अध्यक्ष: गार्जियन आफ अर्थ एंड ग्लोबल कल्चर

अध्यक्ष:इंटरनेशनल नॉन वालेंस एड पीस एकेडमी।

 

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