हिमालय से पधार रहें है संत जन
कर्मयोगी पृकृति पुत्र त्यागी जी की पवित्र तपोभूमि माँ महानदी की गोद में
जिला कटनी – आज तीर्थों की कमी नही है तो नये तीर्थ या कुम्भ क्यो ?
वास्तव में समय समय पर हर चीज घटती और बढती रहती है जो पृकृति का नियम है इसमें मानव कोई बदलाव नही कर सकता इसी तरह जो तीर्थ समाज को दिशा देने के लिए अवतरित हुए थे अब वे तो है लेकिन उससे लाभ मिलने वाले लोगो के अंदर लोभ भी जाग गया है जो लोगो मे भी असर करेगा एक ईमानदार व्यक्ति को देखकर उससे अधिक ईमानदार लोग तैयार होते है बिलकुल उसी तरह एक बुरे काम करने वाले को देखकर ढेर सारे लोग तैयार होते है।
तीर्थ संस्कृति, संस्कार ,अर्थ और राजनीति सभी को प्रभावित करते ही है जहाँ घंटे घङियाल संख की गूंज होती है वहा सकारात्मकता अधिक होती है लेकिन वही कामचोर, भिखारी लोग भी एकत्र हो जाते है धीरे धीरे यही चलता जाता है और जिन चीजों के लिए तीर्थ का अवतरण होता है उसका ह्रास होता जाता है फिर ईश्वर की प्रेरणा से कही कोई नये तीर्थ अवतरित होते हैं यह तो तय है कि निमित्त कोई तो होगा ही जैसे डाकिया चिट्ठी बांटता है लेकिन खबर से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता
जैसी खबर हो वह बाटनी ही होगी किसी को कष्ट भी होगा तो किसी को आनंद भी मिलेगा यही कार्य संतों तपस्वी जनो का भी होता है कि समाज को सत्य के मार्ग पर चलता हुआ देखने समय समय पर ईश्वर के संदेश पहुंचे जन जन तक सब नही मानेंगे यह भी तय है ईश्वर की बङी योजना होती है जहाँ हम सोच भी नही सकते वहा वह सब कुछ बदल देते है ।
तिल को पहाड़ तो पहाङ को तिल कर देती है पृकृति।
एक पल मे सब कुछ बदलने का सामर्थ्य सिर्फ उस परम सत्ता को ही है फिर नाम कोई भी हो सकते हैं नाम जाति धर्म अच्छा बुरा कोई भी हो सकता है एक पल मे डाकू भक्त बन गये एक पल में समुद्र सूख गया सब कुछ एक पल मे बदल जाता है यह हमने समझा और इसे समझाने आयी पृकृति।
कुम्भ किसी मानव की सोच नही न ही मूर्ति मंदिर पूजा सब हमे उसके आदेश के हिसाब से ही करना होता है बस वह किसी के द्वारा संदेश भेजती है और श्रेय उसे मिल जाता है किसान बिना पृकृति के सहारे एक अन्न नही उगा सकता जबकि पृकृति बिना किसान के ही सम्पूर्ण सृष्टि को हरा भरा रखती है यही है श्रेय किसान को मिल गया मंदिर मे पुजारी तो घरों मे चोरी यह सब सृष्टि मे होगा ही यह तय है बङे बङे साधक तपस्वी ज्ञानी,विज्ञानी कुछ बदल न पाये इसी को कुम्भ से जोड़ते हुए धरती पर स्वर्ग निर्माण करने संकल्पित कर्मयोगी पृकृति पुत्र त्यागी जी ने बताया कि स्वर्ग या कुम्भ की कल्पना भी करना मेरे बस की बात न थी लेकिन ईश्वर की प्रेरणा से इतना कुछ हुआ और हो रहा है आगे भी होता रहेगा इसमें हमारा कुछ भी नही बस उसकी कृपा और आदेश से ही सब हो रहा है।
आज राज्य या देश ही नही पूरी दुनिया मे त्यागी जी की पवित्र तपोभूमि की गूंज फैल चुकी है जहा बिना जादूगरी आडंबर के सिर्फ सत्य सत्य और सत्य की शाधना का ही परिणाम है कि दिव्य भूमि विलायत कला जो कटनी जिले मे तो है लेकिन पूरी दुनिया के पवित्र लोग आज यहा पहुचना चाह रहे कि कि एक बार एसी सच्ची पवित्र तपोभूमि पर पहुंच सकें लेकिन कौन कब पहुंचे यह भी ईश्वर की मर्जी के बगैर कौन तय करे जब वह चाहेगे तभी सब होगा त्यागी जी ने बताया की एक अनोखा संदेश और है कि 2024 चैत्र नवरात्रि पर सृष्टि में अनोखे परिवर्तन होंगे खास तौर पर स्वर्ग धाम विलायत कला में सबसे बङा तो यह कि पूरी दुनिया का संत समुदाय ही नही हर तरह के लोग त्यागी जी की पवित्र तपोभूमि पर उपस्थित होंगे जो ईश्वर की महती कृपा से ही संभव है यह दैवीय प्रेरणा बताती हैं कि लाखो वर्षों से भी पूर्व यह भूमि सर्व तीर्थ के नाम से विख्यात था और आने वाले समय मे भी यह दुनिया का सबसे पवित्र तीर्थ के रूप मे उभर कर आयेगा यही पृकृति का आदेश भी है और कृपा भी।अपने साथ अपने गुरु जन परिवार के साथ इष्ट मित्रों को भी तीर्थ जल और मिट्टी लेकर पधारें
दिल्ली से पधार रहे संत श्री
प्रखर तेजस्वी क्रांतिकारी राजराजेश्वरी पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर पूज्य संत श्री राधे जी सरकार जबलपुर पहुंचेगे आपने अपनी उपस्थिति दर्ज करने की बात त्यागी जी से फोन पर की इसी तारतम्य में अम्बाला आश्रम से दीदी ऊषा रामायणी हरिओम योगी जी ,हिमालय में रह रहे तपस्वी संत जन भी आने की सूचना दे चुके हैं यथा सम्भव हर पवित्र जन इस कुम्भ मे आ रहे है चूंकि पूर्व में करोना आदि की आपदा थी तो इतनी जल्दी लोगों का पहुचना थोङा कठिन है फिर भी अनेकानेक पवित्र जन इस ज्ञान कुम्भ दिव्य कुम्भ स्वर्ग कुम्भ मे पहुँचने स्वयं ही ललायित है क्षेत्रीय संतों में भी अमोल आश्रम नोरोजाबाद से बच्चू बाबाजी,लोढा पहाङ से संत जन सहित भरभरा आश्रम के संत जन सहित सभी को आमंत्रित किया जा रहा है जो अपनी सुविधा अनुसार पहुंच सकेगे।
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