नर्मदा जयंती विशेष-आंचलिक ख़बरें-महेश प्रसाद मिश्रा

Aanchalik Khabre
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विश्व मे भारत ही एक ऐसा मात्र देश है जो छः ऋतुओं वाला देश हैं,जिसकी मिट्टी को हम नमन करते हैं और भारत माता कहते हैं जहां पर सर्वाधिक नदियां हैं या यूं कहें कि भारत नदियों का देश है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारतीय धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार बहुत सी नदियों को इतना पवित्र माना गया है कि उन नदियों मे स्नान कर लेने मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं और मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है। भारत मे विविध प्रकार की बोली-भाषाओं का भी प्रयोग किया जाता है साथ ही संपूर्ण जगत मे भारत ही एक ऐसा मात्र राष्ट्र है जिसकी धरा पर साक्षात भगवान अवतरित हुए हैं जहां पर एक से बढ़कर एक तपस्वी,ऋषि-मुनियों ने अपनी साधना की है।भारत में नदियों का बड़ा महत्व है और यहां के लोगों के जीवन का मुख्य स्रोत भी नदी है इसके अलावा प्रत्येक नदी का अपना अलग महत्व है और जिन नदियों को पवित्र माना गया है उनकी पूजा-अर्चना भी की जाती है।

प्रमुख पवित्र नदियां
(१) गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना गया है जो गौमुख कुंड हिमालय से निकलती है।
(२) यमुना नदी एक प्रमुख नदी है जो हिमालय पर्वत के यमुनोत्री से निकलती है और प्रयागराज इलाहाबाद में गंगा नदी मे विलीन हो जाती है यमुना नदी गंगा की महत्त्वपूर्ण एक सहायक नदी है।
(३) सरस्वती नदी के बारे में ऐसा मानना है कि यह एक प्राचीन नदी है जो कि वैदिक युग के दौरान उत्तर भारत में प्रवाहित होती थी हालांकि आज सरस्वती नदी का भौतिक अस्तित्व रेगिस्तान में खो गया है लेकिन प्रयागराज इलाहाबाद मे सरस्वती नदी का अस्तित्व आज भी है जहां पर गंगा,यमुना और सरस्वती का मिलन होता है यही कारण भी है कि उस स्थान को त्रिवेणी संगम कहा जाता है।
(४) क्षिप्रा नदी विंध्य पर्वत माला से निकलती है और उत्तर मे चंबल नदी मे समाहित होते हुए मालवा पठार के पार दक्षिण में बहती है,क्षिप्रा नदी के तट पर बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन बसा हुआ है जिसे हम महाकालेश्वर भी कहते हैं जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
(५) गोदावरी नदी नासिक के पास त्रिंबक से निकल कर बंगाल की खाड़ी में पूर्वी घाट की ओर बहती है यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है और भारत मे इसे तीर्थ यात्रा का केंद्र भी माना जाता है।

वैसे तो भारत में पवित्र नदियों की संख्या कम नही है और भी पवित्र नदियां हैं जैसे-कावेरी,कृष्णा,महानदी, सिंधु,ब्यास,सतलज,कोसी, भागीरथी,ताप्ती, अलकनंदा,दामोदर, लोहित,बनास,बैतरनी, मांण्डवी,कबीनी,हेमावती,वैगई, भीम नदी,रामगंगा,पेन्नार,दमन गंगा,इंद्रावती,तुंगभद्रा,सुवर्णरेखा,सोननदी हुगली,झेलम, गोमती, घाघरा, साबरमती आदि-आदि। भारत में छोटी-बड़ी नदियों को मिला दिया जाए तो संख्या इतनी अधिक है की पूरा पन्ना भर जाएगा इसी लिए मैंने ऊपर लिखा है कि भारत को नदियों का देश कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

“”””पवित्र नदी मां नर्मदा जी का उद्गम स्थल””””

नर्मदा जी भारत के मध्य भाग में पूरब से पश्चिम की ओर बहनें वाली मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र से होकर गुजरात राज्य में बहते हुए भरौच के आगे खंभात की खाड़ी में गिरने वाली नदी है,इसकी लंबाई १३१० किलोमीटर की है। नर्मदा नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद से विंध्याचल की मैकाल पर्वत के गौमुख कुण्ड अमरकंटक से हुआ है, स्कंदपुराण में इस नदी का वर्णन रेवाखण्ड के अंतर्गत किया गया है “”मेघदूतम”” में नर्मदा को रेवा का संबोधन मिला है जिसका अर्थ है-पहाडी चट्टानों से कूदने वाली, नर्मदा की तेजधारा पहाड़ी चट्टानों पर और भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों से उछलती हुई बहती है। अमरकंटक में सुंदर सरोवर में स्थित शिवलिंग से निकलने वाली इस पावन धारा को रुद्र कन्या भी कहते हैं जो आगे चलकर विशालकाय रुप धारण कर लेती है।

“”””नर्मदा जी की कथा””””

पवित्र नगरी अमरकंटक से नर्मदा के साथ-साथ दो और नदियों का उद्गम होता है सोन और जोहिला यहां नर्मदा नदी के जन्म की अनेकोनेक कथाएं हैं अलग-अलग धर्मग्रंथों में कई तरह की कथाएं वर्णित हैं,अलग-अलग लेखक,कवि, साहित्यकारों ने मां नर्मदा उद्गम की कथा को अपने शब्दों में जनमानस तक पहुंचाया है, यह बहुत ही पवित्र नदी है इसलिए पूज्यनीय है नर्मदा जी के जन्म तिथि को नर्मदा जयंती के रूप में माघ माह की शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति में नर्मदा जी का विशेष महत्व है जिस प्रकार से उत्तर-भारत मे गंगा-यमुना नदियों की महिमा है उसी प्रकार मध्यभारत मे नर्मदा नदी जन-जन के आस्था की केंद्र मानी जाती हैं,स्कंदपुराण के रेवाखण्ड मे नर्मदा के महात्म्य और इसके तटवर्ती तीर्थों का वर्णन है। पद्मपुराण के अनुसार हरिद्वार में गंगा कुरुक्षेत्र में सरस्वती बृजमंडल मे यमुना पुण्यमयी होती हैं किंतु नर्मदा हर जगह पुण्य दायिनी है।जल के पवित्रता की बात की जाए तो सरस्वती का जल तीन दिन यमुना का जल एक सप्ताह और गंगा जल के स्पर्श मात्र से मानव पवित्र हो जाता है किन्तु नर्मदा जी के दर्शन मात्र से ही इंसान पवित्र हो जाता है और सारे पुण्य क्षीण्य हो जाते हैं।
ऋषि-मुनियों का कहना है कि नर्मदा में स्नान करने से नर्मदा जी का स्मरण करने से कई जन्मों के पाप तत्काल नस्ट हो जाते हैं।
हजारों हजार वर्ष पूर्व की बात है कि नर्मदा जी नदी बनकर जन्मी और सोनभद्र नद बनकर जन्मा दोनों पास में ही रहते थे और दोनो का घुटनों के बल चलते-खेलते,हंसी-ठिठोली करते बचपन बीता दोनों का किशोरावस्था आते-आते दोनों में लगाव बढ़ने लगा और धीरे-धीरे जवान हुए तब दोनो ने एक दूसरे के जीवन भर साथ रहने और कभी धोखा न देने की कसमें खाई एक दिन अचानक सोन के सामने नर्मदा की सखी जोहिला आ गई सोलह श्रृंगार किए हुए वन का सौंदर्य लिए और उसने सोन के मन को मोहित कर ली और करती भी क्यों ना वो भी जवान नव युवती ही थी इस दृश्य को देखकर नर्मदा जी काफी दुखी हुईं और सोनभद्र को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन जब बात नही बनी तब नर्मदा जी हमेशा के लिए चिर कुंवारी रहने का संकल्प लेकर विपरीत दिशा की ओर निकल गई और बंगाल की खाड़ी में ना जाकर अरब सागर में जा गिरी भौगोलिक दृष्टि कोण से देश मे‌ जितनी भी नदियां हैं सभी बंगाल सागर में मिलती हैं लेकिन नाराजगी की वजह से नर्मदा जी अरब सागर में जा कर मिलती हैं।
आमतौर पर नर्मदा जी की कथा जनमानस में कई रुपों में प्रचलित है अलग-अलग मनीषियों ने अनेकानेक कथा बताई है लेकिन नर्मदा जयंती पर अति सूक्ष्म जानकारी आप सबके बीच है।”जय नर्मदा माई”
“””नमामि देवी नर्मदे”””‘

चार पंक्तियां-
कितनी सुंदर घाटी यहां की मनमोहक तस्वीर है
नाम अमरकंटक है जिसका संतों की तपोभूमि है
सोन,जोहिला और पवित्र मां नर्मदा नदी का उद्गम है
दृश्य अलौकिक सजर यहां पर ऐसा लगे कश्मीर है

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