समस्तीपुर के लाल को इंटरनेशनल स्पीकर के तौर पर आमंत्रित किया गया-आंचलिक ख़बरें-रमेश शंकर झा

Aanchalik Khabre
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ब्यूरो रमेश शंकर झा
समस्तीपुर बिहार।

समस्तीपुर:- अंतराष्ट्रीय यूथ कमेटी के सहयोग से भारत के पूर्व राष्ट्रपति डाॅ० एपीजे अब्दुल कलाम की चौथी पुण्यतिथि पर 27 जुलाई को मोतिहारी में ख्वाब फाउंडेशन के संस्थापक मुन्ना कुमार ने कलाम यूथ लीडरशिप कान्फ्रेस 2019 बिहार
का आयोजन किया गया।

जिसमें समस्तीपुर के लाल कुंदन कुमार राॅय को इंटरनेशनलस्पीकर के तौर पर आमंत्रित किया गया। इस कार्यक्रम में समस्तीपुर के लाल को ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया।

इस कार्यक्रम में सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया के ऐसे तमाम महान व्यक्तित्व मौजूद थे जैसे की बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, इराक, भूटान, श्री लंका आदि देश, जिन्होंने अपने समाज में रहकर समाज को बदलने का काम किया है।

वहीँ देश-दुनिया के
लगभग 100 युवा प्रतिनिधियों के बीच कुंदन को यूथ मोटीवेशन व आर्ट के लिए कलाम यूथ लीडरशिप अवार्ड से नवाजा गया है।
कलर ब्लाइंडनेस के बावजूद कला के प्रति समर्पित कुंदन को लोग रंगों से ही जानते हैं। अपने संवाद में कुंदन कुमार राॅय ने कहा भारत कला, संस्कृति और प्रतीभा की धरती है। इसके पाश्चात्य संस्कृति की होर में युवा अपने कलाओं से संस्कृति-संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं।

मिथिला पेंटिंग की विदेश में धूम है पर स्वदेश में उपेक्षित है। यही वजह है कि आज कलाकार उपेक्षित है। कोई कलाकार अपने बच्चों को यह विरासत देना नहीं चाहते है। उन्होंने कहा मेरे घर में भी मेरे पेटिंग का विरोध ही हुआ था। इच्छा तो थी इस क्षेत्र में ही शिक्षा ग्रहण करू पर
कलर ब्लाइंडनेस की वजह से बचपन से ही लाल, हरा, मैरुन, भूरा, पर्पल, ब्लू इत्यादि रंगो को ठीक से देख नही पाने की वजह से इस क्षेत्र में कभी कोई ट्रेनिंग भी नहीं लीया। नागपुर से एमबीए किया और नौकरी भी कीया। समाजिक कार्य से भी जुड़ा रहा।

वहीँ एक बार एचओडी गीता नायडू के कहने पर एक पेटिंग प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा था मुझे लगा की अब क्या करें। लेकिन छोटी बहन अंकिता ने कहा
हर मुसीबत अपना समाधान साथ लेकर आती है। तुमको रंग पहचानने में प्रोब्लम है लेकिन तुम डिब्बे से नाम पढ़ पढ़ कर तो पेटिंग कर सकते हो, बस….फिर क्या मैं फर्स्ट रनरअप रहा उस प्रतियोगिता में। फिर लगा काश ये बात किसी ने बचपन में कह दिया होता।

उसके बाद नागपुर में इको फ्रेंडली मूर्तीया बनाया, 300 साल पुरानी मंदिर की मूर्ती भी पेंट किया, समय मिलने पर बच्चों को मूर्ती, पेटिंग की ट्रेनिंग दीया। लेकिन माँ की खराब तबियत की वजह से वापस समस्तीपुर आना पड़ा।
बहुत कोशिश की कुछ नया करने की पर कोई अपना काम नहीं आया, फिर तो जिद पकड़ लीया खुद से आगे बढ़ने की और दूसरों को भी रास्ता दिखाने की ताकी कोई उन परिस्थितियों से ना गुज़रे, जहाँ से मैं गुजरा हूँ।

सफलता में दुनिया साथ रहती है समय का पता नहीं चलता पर असफलता में साया भी साथ छोड़ देता है।
धीरे-धीरे सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं के साथ जुड़कर लोगों को अपनी कमियों से लड़ कर सफल जीवन जीने के लिए मोटीवेट करने लगा। जिला उद्योग केन्द्र, बिहार सरकार के बनो उद्यमी अभियान से जुड़े बच्चे, महिलाओं, युवाओ को स्वरोजगार के लिए प्रेरित व सकारात्मकता, स्वाभिमानी, आत्मविश्वास से जुड़ी कहानियों से जागृत करने लगा।

उन्हे बताने लगा की अपनी कमियों से डरे नहीं बल्कि उसे अपना हथियार बना कर आगे बढ़े। स्लम से लेकर स्कूल के बच्चों को मूर्ती और पेटिंग सिखाने लगा। अपने कला से युवाओं को समाजिक संदेश देने लगा।
भगवान ने हर किसी के अंदर कुछ कमी दी है तो कुछ खास भी दिया है। बस देर है तो अपने अंदर की खासियत को पहचान कर अपनी शक्सियत बनाने की।

हर इंसान को कुछ ना कुछ हुनर एसा रखना चाहिए जो गिरे वक्त में साथ दे,
शुरुआत में मुश्किलें बहुत आती है। लोगों ने कहा भी है की मैं बहुत आगे नहीं जा पाऊंगा लेकिन मैंने उनकी कभी नहीं सुनी, जिन्हे मेरी जरूरत नहीं बल्कि उनके लिए आगे बढ़ता रहा जिन्हे मेरी जरूरत थी। कभी-कभी लोग सामने में बोल देते थे पहले खुद की पहचान बना लो, फिर दूसरे की बनाना। साथ के दोस्तों-रिश्तेदारों को देखो वो बुलंदीयों पर पहुंच गए और तुम कितने पीछे रह गये हो तब लगता था की अगर मैं कामयाब ना हो सका तो कैसे दूसरों को रास्ता दिखा पाऊंगा।

जिंदगी एक बार ही मिलती है उसे बिताना नहीं जीना चाहिए। इसलिए दिल की आवाज़ सुनी और बढ़ता रहा।

सफर में कुछ लोग ऐसे मिले जिन्होने मुझे बढते रहने को प्रेरित किया जैसे पदमभूषण शारदा सिन्हा, गीता नायडू, चंचल वैद्य, संजय रघटाटे, चंदन कुमार, हारून खान, ए कुमार, गुंजन मेहता, अलख सिन्हा, अविनाश राॅय, शैलेश कानू, राजेश सुमन, संदीप गिरी व चिन्टू, धीरे-धीरे प्रसिद्धि मिली तो
समस्तीपुर का नाम देश, विदेश में प्रचारित करने के लिए जहाँ बिहार दिवस पर जिला अधिकारी श्री प्रणव कुमार ने सम्मानित किया। वहीं भारत श्री, यूथ आइकॉन, बिहार गौरव,
भारत लीडरशिप अवार्ड,
विजनरी औफ इंडिया अवार्ड, पर्यावरण योद्धा सम्मान, औरेटर आॅफ द मंथ,
यंग इंडिया चेंज मेकर अवार्ड,
समस्तीपुर रत्न सम्मान मिला एवं जिला युवा उत्सत्व मे, मूर्तिकला में दो बार और एंकरिंग, चित्रकला एक बार मे प्रथम स्थान पाकर राज्य के लिए चयनित हुआ। कई सम्मान के लिए नाॅमिनेटेड भी हूँ, हर अवार्ड मेरे नाम को सार्थक कर जाता है और जिम्मेदारीयों को कई गुणा बढा जाता है। सोचता हूँ कि आर्ट और मोटीवेशन के क्षेत्र में उचाईयों को छू कर लोगों को दिखा दू की हर राह मंजिल तक जाती ही है, बस हौसला सफर का होना चाहिए।

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