बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र में बीते 3 अप्रैल को सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी. इसमें सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हो गए थे व अन्य 31 घायल हो गए थे. मुठभेड़ के बाद से ही सीआरपीएफ के राकेश्वर सिंह मनहास लापता थे. नक्सलियों ने 5 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया था कि लापता जवान उनके कब्जे में है.
मिली जानकारी के अनुसार नक्सली हमले के दौरान जब सुरक्षा बल के जवान आगे बढ़ रहे थे, तो बीच रास्ते में पड़ने वाले गांव सुनसान थे. तभी नक्सलियों ने गुरिल्ला युद्ध नीति से हमला किया, तो जवानों को हथियार चलाने का मौका ही नहीं मिल सका. वजह, नक्सलियों ने ऊंचाई पर पोजिशन ले रखी थी. जवान जब उनकी तरफ बढ़ रहे थे, तो उन्होंने ऊंचाई से जवानों पर पत्थर फैंकने शुरू कर दिए. जब तक जवान संभलते, नक्सलियों ने ऊंचाई का फायदा उठाकर देसी मोर्टार से बमों की बरसात कर दी. लगातार हैंड ग्रेनेड फैंके गए. पेड़ो पर हरी वर्दी पहनकर बैठे नक्सलियों ने भी बम फैंकने शुरू कर दिए. इसके बाद जवानों के पास बचने का कोई विकल्प नहीं था. इस मुठभेड़ में 31 जवान घायल हुए व 22 जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के 6 दिन बाद गुरुवार को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने CRPF के कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मिन्हास को रिहा कर दिया था. राकेश्वर सिंह को 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्लसियों ने अगवा कर लिया था. घायल जवानो का उपचार चल रहा है. वहीँ सरकार ने शहीद जवानो के परिजनों को आवश्यक सहूलियत व सुविधा मुहैया कराने की बात कही है.